इंसानियत की बातें (स्वैच्छिक कविता प्रतियोगिता हेतु कविता)
इंसानियत की बातें (स्वैच्छिक कविता प्रतियोगिता हेतु कविता)
ना जात-पात, ना अमीरी-गरीबी की बातें जानती हूँ,
बस इंसान हूँ, इंसानियत की बातें जानती हूँ।
है चैन-अमन से जी रहे हम, बस सरहद के पार शहीदों की शहादत को मानती हूँ,
इंसान हूँ इंसानियत की बातें जानती हूँ ।
ना भलाई- बुराई, बस माता- पिता की सेवा को ही सच्चा धर्म मानती हूँ ,
रुप से ना सीरत से, इंसान की पहचान होती है उसकी नीयत से ।
ये दुनिया टिकी हुई है बस इंसान के इंसानियत पे,
अपना-पराया का भेद नहीं मानती हूँ ।
इंसान हूँ बस इंसानियत की बातें जानती हूँ,
ना पत्थर में, ना मूरत में, भगवान बसे है हर इंसान की सूरत में ।
ना दुआ चाहिए, ना दवा चाहिए, हर जरूरतमंद की मदद कर सकूँ बस ऐसी कोई सजा चाहिए,
ना शोहरत चाहिए ना नाम चाहिए ।
बस इंसान हूँ किसी इंसान के काम आ सकूँ बस ऐसा कोई अदद काम चाहिए,
ना बरबादी चाहिए ना आबादी चाहिए,
देश के काम आ सकूँ सीना ऐसा फौलादी चाहिए ।
ना रस्म जानती हूँ ना रिवाज जानती हूँ,
बस इंसान हूँ इंसानियत का हिसाब जानती हूँ ।।
डॉ. नवनीता गुप्ता (डेंटल सर्जन)
जमादार टोला बेतिया ।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
03-Sep-2023 09:21 AM
सुन्दर सृजन
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Punam verma
03-Sep-2023 09:11 AM
Very nice
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Abhinav ji
03-Sep-2023 08:29 AM
Very nice
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